Love Poetry of Azm Shakri
नाम | अज़्म शाकरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Azm Shakri |
ज़िंदगी मेरी मुझे क़ैद किए देती है
ज़ख़्म जो तुम ने दिया वो इस लिए रक्खा हरा
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के ब'अद
घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं
चाँद सा चेहरा कुछ इतना बेबाक हुआ
अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ
अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते