Sad Poetry of Azm Bahzad

Sad Poetry of Azm Bahzad
नामअज़्म बहज़ाद
अंग्रेज़ी नामAzm Bahzad
जन्म की तारीख1958
मौत की तिथि2011
जन्म स्थानKarachi

दरिया पार उतरने वाले ये भी जान नहीं पाए

अजब महफ़िल है सब इक दूसरे पर हँस रहे हैं

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिख्खा

उस आँख से वहशत की तासीर उठा लाया

शाम आई तो कोई ख़ुश-बदनी याद आई

मुझे कल अचानक ख़याल आ गया आसमाँ खो न जाए

मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

खुलता नहीं कि हम में ख़िज़ाँ-दीदा कौन है

कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है

जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है

जो बात शर्त-ए-विसाल ठहरी वही है अब वज्ह-ए-बद-गुमानी

बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़म

बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ

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