Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9172ea411bfb57bec11fbd64b1bb208b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता - अज़्म बहज़ाद कविता - Darsaal

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता

इक दिन भी अगर अपनी तन्हाई से डर जाता

मैं तर्क-ए-तअल्लुक़ पर ज़िंदा हूँ सो मुजरिम हूँ

काश उस के लिए जीता अपने लिए मर जाता

उस रात कोई ख़ुश्बू क़ुर्बत में नहीं जागी

मैं वर्ना सँवर जाता और वो भी निखर जाता

उस जान-ए-तकल्लुम को तुम मुझ से तो मिलवाते

तस्ख़ीर न कर पाता हैरान तो कर जाता

कल सामने मंज़िल थी पीछे मिरी आवाज़ें

चलता तो बिछड़ जाता रुकता तो सफ़र जाता

मैं शहर की रौनक़ में गुम हो के बहुत ख़ुश था

इक शाम बचा लेता इक रोज़ तो घर जाता

महरूम फ़ज़ाओं में मायूस नज़ारों में

तुम 'अज़्म' नहीं ठहरे मैं कैसे ठहर जाता

(2006) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata In Hindi By Famous Poet Azm Bahzad. Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata is written by Azm Bahzad. Complete Poem Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata in Hindi by Azm Bahzad. Download free Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata Poem for Youth in PDF. Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Umar Ke Raste Mein Chup-chap Bikhar Jata with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.