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हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं - अज़लान शाह कविता - Darsaal

हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं

हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं

हम लोग भी बहते हुए पानी की तरह हैं

दुनिया तिरे होने का यक़ीं क्यूँ नहीं करती

हम भी तो यहाँ तेरी निशानी की तरह हैं

चुपके से गुज़रते हैं ख़बर भी नहीं होती

दिन रात भी कम-बख़्त जवानी की तरह हैं

गर नाम कमाना है तुम्हें इतना समझ लो

आँसू भी मोहब्बत की निशानी की तरह हैं

इस बार है होना भी न होने के बराबर

इस बार तो हम जैसे कहानी की तरह हैं

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