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याद - अज़ीज़ तमन्नाई कविता - Darsaal

याद

शब की चादर ओढ़ कर आई है

लम्हों की महकती धूल में लिपटी हुई

मेरी जानिब धीरे धीरे बढ़ रही है

और मैं अपने बिस्तर-ए-ख़ाशाक-ओ-ख़स पर

नीम-वा आँखों से धुँदली रौशनी को

देर से तकता हुआ

दम-ब-ख़ुद हूँ झिलमिलाती सोच में खोया हुआ

वो क़रीब आती है

मेरी साँस में शोले जगाती है

मिरी धड़कन की लय को कर रही है तेज़-तर

और मुझे बेदार-तर होश्यार-तर

हाथ जब बढ़ते हैं छूने के लिए

और हो जाती हैं गहरी चादर-ए-शब की तहें

और छा जाती है सँवलाए हुए लम्हों की धूल

याद बन जाती है इक मौहूम भूल

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Yaad In Hindi By Famous Poet Aziz Tamannai. Yaad is written by Aziz Tamannai. Complete Poem Yaad in Hindi by Aziz Tamannai. Download free Yaad Poem for Youth in PDF. Yaad is a Poem on Inspiration for young students. Share Yaad with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.