Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_568eccb9081b6a422e98dc94622c0b5b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क़िस्सा-ए-दर्द - अज़ीज़ तमन्नाई कविता - Darsaal

क़िस्सा-ए-दर्द

चाँद ने मुस्कुरा कर कहा

दोस्तो

क़िस्सा-ए-दर्द छेड़े सर-ए-राह कौन

फिर भी तारे मुसिर थे

कि हम आज की शब सुनेंगे

वही अन-सुनी दास्ताँ

देर तक चाँद सोचा किया

दूर आफ़ाक़ की सम्त देखा किया

और तारों की आँखें छलकती रहीं

रात के दामन-ए-तर को

आहिस्ता आहिस्ता

लम्हों का ठंडा लहू

जज़्ब हो हो के रंगीन करता रहा

ना-गहाँ एक नादीदा ज़र्रीं रक़म

दस्त-ए-सीमीं बढ़ा और उफ़ुक़-ता-उफ़ुक़

एक जुम्बिश में खींचे हज़ारों करोड़ों तलाई ख़ुतूत

डूब कर रह गए शब के सारे नुक़ूत

चश्म-ए-आफ़ाक़ से

अव्वलीं क़तरा-ए-दर्द टपका

किसी बर्ग-ए-नौ-ख़ेज़ पर

अक्स-ए-अंजाम रुख़्सार-ए-आग़ाज़ पर

(761) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Qissa-e-dard In Hindi By Famous Poet Aziz Tamannai. Qissa-e-dard is written by Aziz Tamannai. Complete Poem Qissa-e-dard in Hindi by Aziz Tamannai. Download free Qissa-e-dard Poem for Youth in PDF. Qissa-e-dard is a Poem on Inspiration for young students. Share Qissa-e-dard with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.