Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b7f0104fe0475d6bfba0a368f8042a74, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं - अज़ीज़ तमन्नाई कविता - Darsaal

यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं

यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं

पड़ते हैं पाए शौक़ कहीं और नज़र कहीं

मौहूम-ओ-मुख़्तसर सही पेश-ए-नज़र तो है

देखा किसी ने ख़्वाब ये बार-ए-दिगर कहीं

माइल-ब-जुस्तुजू हैं अभी अहल-ए-इश्तियाक़

दुनियाएँ और भी हैं वरा-ए-नज़र कहीं

बाक़ी अभी क़फ़स में है अहल-ए-क़फ़स की याद

बिखरे पड़े हैं बाल कहीं और पर कहीं

अब हम हैं और तिलिस्म-ए-तमन्ना की वुसअ'तें

ढूँडे से भी न मिल सकी राह-ए-मफ़र कहीं

हर फ़ासला है जल्वा-गह-ए-मौज-ए-इत्तिसाल

या'नी जबीन-ए-शौक़ कहीं संग-ए-दर कहीं

सदियों का इज़्तिराब 'तमन्नाई' सौंप दूँ

मिल जाए कोई लम्हा-ए-फ़ुर्सत अगर कहीं

(804) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin In Hindi By Famous Poet Aziz Tamannai. Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin is written by Aziz Tamannai. Complete Poem Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin in Hindi by Aziz Tamannai. Download free Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin Poem for Youth in PDF. Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Yunhi KaTe Na Rahguzar-e-muKHtasar Kahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.