Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8b3f3b00a37202e5dad301813ad597f3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया - अज़ीज़ तमन्नाई कविता - Darsaal

उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया

उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया

अंधेरे चीख़ते हैं आफ़्ताब कोई ले गया

मैं सारे काग़ज़ात ले के देखता ही रह गया

सवाब कोई ले गया अज़ाब कोई ले गया

सुपुर्द कर के ख़ामुशी की मोहर-ए-ख़ुश-नुमा मुझे

लबों से नारा-हा-ए-इंक़लाब कोई ले गया

है ए'तिराफ़ मेरे हाथ में जो एक चीज़ थी

सँभाल कर रखा तो था जनाब कोई ले गया

ये ग़म नहीं कि मुझ को जागना पड़ा है उम्र भर

ये रंज है कि मेरे सारे ख़्वाब कोई ले गया

शजर शजर वरक़ वरक़ पयाम-बर वहाँ भी है

जहाँ से हर सहीफ़ा हर किताब कोई ले गया

शनाख़्त हो सकी न फिर भी ये मिरा क़ुसूर था

हमारे दरमियाँ था जो हिजाब कोई ले गया

(831) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya In Hindi By Famous Poet Aziz Tamannai. UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya is written by Aziz Tamannai. Complete Poem UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya in Hindi by Aziz Tamannai. Download free UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya Poem for Youth in PDF. UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share UTha Ke Mere Zehn Se Shabab Koi Le Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.