Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_92102f31a75b017e78d433f1c9635b80, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दहर में इक तिरे सिवा क्या है - अज़ीज़ तमन्नाई कविता - Darsaal

दहर में इक तिरे सिवा क्या है

दहर में इक तिरे सिवा क्या है

तू नहीं है तो फिर भला क्या है

सिला-ए-ज़ौक़ मय-कशी मा'लूम

ज़र्फ़ क्या शय है हौसला क्या है

हाशिए अपने मत्न है उन का

मोहतसिब फिर सज़ा जज़ा क्या है

पूछता हूँ हर एक साए से

चाँदनी का अता-पता क्या है

उन को है दा'वा-ए-मसीहाई

जो नहीं जानते शिफ़ा क्या है

किस लिए गर्दिश-ए-मुदाम में हैं

आसमानों को ये हुआ क्या है

ले उड़ेगी बुलंद-परवाज़ी

दोस्तो साया-ए-हुमा क्या है

इतनी इफ़रात ऐसी महरूमी

देने वाले मोआ'मला क्या है

सैल-ए-शाम-ओ-सहर में बहते हैं

क्या ख़बर ज़ीस्त क्या क़ज़ा क्या है

हम ही चुप हो गए 'तमन्नाई'

दे रहा है कोई सदा क्या है

(940) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai In Hindi By Famous Poet Aziz Tamannai. Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai is written by Aziz Tamannai. Complete Poem Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai in Hindi by Aziz Tamannai. Download free Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai Poem for Youth in PDF. Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Dahr Mein Ek Tere Siwa Kya Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.