Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c7dbb5490781bac5911a60851b8ca3b7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बैन-उल-अदमैन - अज़ीज़ क़ैसी कविता - Darsaal

बैन-उल-अदमैन

ये तज़ाद-ए-जान-ओ-जसद जिसे

तू विसाल कह ले फ़िराक़ में

तू नशात कह ले मिराक़ में

तू रुवाक़ कह ले कि बहर-ओ-बर

मैं मज़ाक़ कह लूँ कि ख़ैर-ओ-शर

तेरे मेरे कहने में कुछ नहीं

कि तिरा यक़ीन मिरा गुमाँ

कि मिरा गुमान तिरा यक़ीं

तिरे दर्क-अो-होश-अो-हवास की

मिरे वज्द-ओ-वहम-ओ-क़यास की

यही एक पल तो असास है

यही एक पल तिरे पास है

यही एक पल मिरे पास है

इसी एक पल को मुरूर है

इसी एक पल को दवाम है

इसी एक पल को क़याम है

इसी एक पल को सलाम है

न हयात अज़ल न अजल अबद

यही पल अज़ल यही पल अबद!

(1076) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bain-ul-admain In Hindi By Famous Poet Aziz Qaisi. Bain-ul-admain is written by Aziz Qaisi. Complete Poem Bain-ul-admain in Hindi by Aziz Qaisi. Download free Bain-ul-admain Poem for Youth in PDF. Bain-ul-admain is a Poem on Inspiration for young students. Share Bain-ul-admain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.