Love Poetry of Aziz Nabeel
नाम | अज़ीज़ नबील |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Nabeel |
जन्म की तारीख | 1976 |
जन्म स्थान | Qatar |
'नबील' इस इश्क़ में तुम जीत भी जाओ तो क्या होगा
चाँद तारे इक दिया और रात का कोमल बदन
ज़मीं की आँख से मंज़र कोई उतारते हैं
उस की सोचें और उस की गुफ़्तुगू मेरी तरह
सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं
सुब्ह-सवेरे ख़ुशबू पनघट जाएगी
सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं
परिंदे झील पर इक रब्त-ए-रूहानी में आए हैं
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है
मिरा सवाल है ऐ क़ातिलान-ए-शब तुम से
मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब
मैं अपने गिर्द लकीरें बिछाए बैठा हूँ
कुछ देर तो दुनिया मिरे पहलू में खड़ी थी
जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी
हयात-ओ-काएनात पर किताब लिख रहे थे हम
गुज़रने वाली हवा को बता दिया गया है
धूप के जाते ही मर जाऊँगा मैं
दश्त-ओ-सहरा में समुंदर में सफ़र है मेरा
बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है
अगरचे ज़ेहन के कश्कोल से छलक रहे थे
आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग