किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करते
किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करते
हुजूम-ए-शहर में तन्हा थे हम, भटक रहे थे
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किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करते
हुजूम-ए-शहर में तन्हा थे हम, भटक रहे थे
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