Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e19def81539669bc363e72f2422c4519, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी - अज़ीज़ नबील कविता - Darsaal

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी

मैं तो आवाज़ हूँ आवाज़ की हिजरत कैसी

सुनने वालों की समाअत गई गोयाई भी

क़िस्सा-गो तू ने सुनाई थी हिकायत कैसी

हम जुनूँ वाले हैं हम से कभी पूछो प्यारे

दश्त कहते हैं किसे दश्त की वहशत कैसी

आप के ख़ौफ़ से कुछ हाथ बढ़े हैं लेकिन

दस्त-ए-मजबूर की सहमी हुई बैअत कैसी

फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोग

राख हो जाएगा ये साल भी हैरत कैसी

और कुछ ज़ख़्म मिरे दिल के हवाले मिरी जाँ

ये मोहब्बत है मोहब्बत में शिकायत कैसी

मैं किसी आँख से छलका हुआ आँसू हूँ 'नबील'

मेरी ताईद ही क्या मेरी बग़ावत कैसी

(870) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi In Hindi By Famous Poet Aziz Nabeel. Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi is written by Aziz Nabeel. Complete Poem Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi in Hindi by Aziz Nabeel. Download free Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi Poem for Youth in PDF. Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Taraf Chahun Pahunch Jaun Masafat Kaisi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.