अज़ीज़ नबील कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ नबील
नाम | अज़ीज़ नबील |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Nabeel |
जन्म की तारीख | 1976 |
जन्म स्थान | Qatar |
वो एक राज़! जो मुद्दत से राज़ था ही नहीं
तमाम शहर को तारीकियों से शिकवा है
सारे सपने बाँध रखे हैं गठरी में
फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोग
'नबील' इस इश्क़ में तुम जीत भी जाओ तो क्या होगा
'नबील' ऐसा करो तुम भी भूल जाओ उसे
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है
मुसाफ़िरों से कहो अपनी प्यास बाँध रखें
मैं किसी आँख से छलका हुआ आँसू हूँ 'नबील'
मैं छुप रहा हूँ कि जाने किस दम
किसी से ज़ेहन जो मिलता तो गुफ़्तुगू करते
हम क़ाफ़िले से बिछड़े हुए हैं मगर 'नबील'
गुज़र रहा हूँ किसी ख़्वाब के इलाक़े से
चुपके चुपके वो पढ़ रहा है मुझे
चाँद तारे इक दिया और रात का कोमल बदन
ज़मीं की आँख से मंज़र कोई उतारते हैं
ये किस वहशत-ज़दा लम्हे में दाख़िल हो गए हैं
ये किस मक़ाम पे लाया गया ख़ुदाया मुझे
वो दुख नसीब हुए ख़ुद-कफ़ील होने में
वक़्त की आँख में सदियों की थकन है, मैं हूँ
उस की सोचें और उस की गुफ़्तुगू मेरी तरह
सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं
सुब्ह-सवेरे ख़ुशबू पनघट जाएगी
सुब्ह और शाम के सब रंग हटाए हुए हैं
सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं
परिंदे झील पर इक रब्त-ए-रूहानी में आए हैं
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है
मोजज़े का दर खुला और इक असा रौशन हुआ
मिरा सवाल है ऐ क़ातिलान-ए-शब तुम से
मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब