हक़ारत से न देखो साकिनान-ए-ख़ाक की बस्ती
हक़ारत से न देखो साकिनान-ए-ख़ाक की बस्ती
कि इक दुनिया है हर ज़र्रा इन अज्ज़ा-ए-परेशाँ का
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हक़ारत से न देखो साकिनान-ए-ख़ाक की बस्ती
कि इक दुनिया है हर ज़र्रा इन अज्ज़ा-ए-परेशाँ का
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