मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
ऐ सितमगर ये दिल-लगी कैसी
खुल गई फिर कोई रग-ए-दिल क्या
दीदा-ए-ख़ुश्क हैं नमी कैसी
होश है तुझ को ख़ाक के पुतले
ये तमर्रुद ये सर-कशी कैसी
था ये इक इम्तिहाँ तबीअ'त का
वर्ना नासेह से दोस्ती कैसी
रो रहा हूँ इसी तसव्वुर में
दी थी ये मुझ को ज़िंदगी कैसी
अब तो इस दर तक आ गए हो 'अज़ीज़'
संभलों संभलों ये बे-ख़ुदी कैसी
(895) Peoples Rate This