Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7049c34fc78bb67167dcd49cc81d8bf3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हुस्न-ए-आलम-सोज़ ना-महदूद होना चाहिए - अज़ीज़ लखनवी कविता - Darsaal

हुस्न-ए-आलम-सोज़ ना-महदूद होना चाहिए

हुस्न-ए-आलम-सोज़ ना-महदूद होना चाहिए

हर तजल्ली आफ़्ताब-आलूद होना चाहिए

हुस्न-ए-निय्यत है दलील-ए-हुस्न अंजाम-ए-अमल

सई में भी जल्वा-ए-मक़सूद होना चाहिए

एक ही जल्वा है जब हंगामा-आरा-ए-शुहूद

फिर वही शाहिद वही मशहूद होना चाहिए

हुस्न-ए-आलम-सोज़ का फ़ैज़-ए-तजल्ली आम है

एक इक ज़र्रा यहाँ मस्जूद होना चाहिए

शाना-ओ-आईना क्या ऐ ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीन-ए-अयाज़

तेरी ज़ीनत को दिल-ए-महमूद होना चाहिए

बे-नियाज़ी अब ख़ता-कारों की हिम्मत बढ़ गई

बाब-ए-तौबा कुछ दिनों मसदूद होना चाहिए

काविश-ए-मिज़्गान का पैहम तक़ाज़ा है 'अज़ीज़'

हर-नफ़स को तेरे ख़ून-आलूद होना चाहिए

(847) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye In Hindi By Famous Poet Aziz Lakhnavi. Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye is written by Aziz Lakhnavi. Complete Poem Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye in Hindi by Aziz Lakhnavi. Download free Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye Poem for Youth in PDF. Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye is a Poem on Inspiration for young students. Share Husn-e-alam-soz Na-mahdud Hona Chahiye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.