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चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें - अज़ीज़ लखनवी कविता - Darsaal

चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें

चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें

कुछ तो अपने किए की लाज कर

उन से किस ने कहा था वो मुझ को

फ़र्द-ए-हस्ती में इंदिराज करें

रोज़ खटका सा दिल में रहता है

देखिए क्या वो हुक्म आज करें

फ़ुर्सत-ए-ज़ीस्त कम ही काम बहुत

कल जो करना है हम को आज करें

चारागर भी न क्या करेंगे याद

कर सकें जिस क़दर इलाज करें

सब उसी की सी कह रहे हैं 'अज़ीज़'

किस से हम अर्ज़-ए-एहतियाज करें

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