Islamic Poetry of Aziz Hamid Madni
नाम | अज़ीज़ हामिद मदनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Hamid Madni |
जन्म की तारीख | 1922 |
मौत की तिथि | 1991 |
माना कि ज़िंदगी में है ज़िद का भी एक मक़ाम
ख़ुदा का शुक्र है तू ने भी मान ली मिरी बात
तल्ख़-तर और ज़रा बादा-ए-साफ़ी साक़ी
नक़्शे उसी के दिल में हैं अब तक खिंचे हुए
लिखी हुई जो तबाही है उस से क्या जाता
इस गुफ़्तुगू से यूँ तो कोई मुद्दआ नहीं
हिकायत-ए-हुस्न-ए-यार लिखना हदीस-ए-मीना-ओ-जाम कहना
हवा आशुफ़्ता-तर रखती है हम आशुफ़्ता-हालों को
ग़लत-बयाँ ये फ़ज़ा महर ओ कीं दरोग़ दरोग़