ऐसी कोई ख़बर तो नहीं साकिनान-ए-शहर
दरिया मोहब्बतों के जो बहते थे थम गए
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1040) Peoples Rate This
शहर जिन के नाम से ज़िंदा था वो सब उठ गए
सूरत-ए-ज़ंजीर मौज-ए-ख़ूँ में इक आहंग है
तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश
ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई
सँभल न पाए तो तक़्सीर-ए-वाक़ई भी नहीं
दिलों की उक़्दा-कुशाई का वक़्त है कि नहीं
ख़ूँ हुआ दिल कि पशीमान-ए-सदाक़त है वफ़ा
कुछ अब के हम भी कहें उस की दास्तान-ए-विसाल
ऐ शहर-ए-ख़िरद की ताज़ा हवा वहशत का कोई इनआम चले
वक़्त ही वो ख़त-ए-फ़ासिल है कि ऐ हम-नफ़सो
महक में ज़हर की इक लहर भी ख़्वाबीदा रहती है
नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है