निसार यूँ तो हुआ तुझ पे नक़्द-ए-जाँ क्या क्या

निसार यूँ तो हुआ तुझ पे नक़्द-ए-जाँ क्या क्या

मगर रहा भी तिरा हुस्न सरगिराँ क्या क्या

अलग अलग भी बहुत दिल-फ़रेब निकलेगी

कहेंगे लोग अभी तेरी दास्ताँ क्या क्या

हिसाब-ए-मय है हरीफ़ान-ए-बादा-पैमा से

उठेगा अब के रग-ए-ताक से धुआँ क्या क्या

नफ़्स की रौ में कोई पेच-ओ-ताब दरिया था

गया है वादी-ए-जाँ से रवाँ-दवाँ क्या क्या

वफ़ा की रात कोई इत्तिफ़ाक़ थी लेकिन

पुकारते हैं मुसाफ़िर को साएबाँ क्या क्या

हज़ार शमएँ जलाए हुए खड़ी है ख़िरद

मगर फ़ज़ा में अँधेरा है दरमियाँ क्या क्या

(696) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya In Hindi By Famous Poet Aziz Hamid Madni. Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya is written by Aziz Hamid Madni. Complete Poem Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya in Hindi by Aziz Hamid Madni. Download free Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya Poem for Youth in PDF. Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Nisar Yun To Hua Tujh Pe Naqd-e-jaan Kya Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.