क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग

क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग

चाक-दर-चाक गरेबाँ को सँवारे हुए लोग

ख़ूँ हुआ दिल कि पशेमान-ए-सदाक़त है वफ़ा

ख़ुश हुआ जी कि चलो आज तुम्हारे हुए लोग

ये भी क्या रंग है ऐ नर्गिस-ए-ख़्वाब-आलूदा

शहर में सब तिरे जादू के हैं मारे हुए लोग

ख़त्त-ए-माज़ूली-ए-अरबाब-ए-सितम खींच गए

ये रसन-बस्ता सलीबों से उतारे हुए लोग

वक़्त ही वो ख़त-ए-फ़ासिल है कि ऐ हम-नफ़सो

दूर है मौज-ए-बला और किनारे हुए लोग

ऐ हरीफ़ान-ए-ग़म-ए-गर्दिश-ए-अय्याम आओ

एक ही ग़ोल के हम लोग हैं हारे हुए लोग

उन को ऐ नर्म हवा ख़्वाब-ए-जुनूँ से न जगा

रात मय-ख़ाने की आए हैं गुज़ारे हुए लोग

(1039) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log In Hindi By Famous Poet Aziz Hamid Madni. Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log is written by Aziz Hamid Madni. Complete Poem Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log in Hindi by Aziz Hamid Madni. Download free Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log Poem for Youth in PDF. Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log is a Poem on Inspiration for young students. Share Kya Hue Baad-e-bayaban Ke Pukare Hue Log with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.