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Aziz Hamid Madni Khawab In Hindi - Best Khawab Of Aziz Hamid Madni Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Khawab Poetry of Aziz Hamid Madni

Khawab Poetry of Aziz Hamid Madni
नामअज़ीज़ हामिद मदनी
अंग्रेज़ी नामAziz Hamid Madni
जन्म की तारीख1922
मौत की तिथि1991

वो लोग जिन से तिरी बज़्म में थे हंगामे

उन को ऐ नर्म हवा ख़्वाब-ए-जुनूँ से न जगा

तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश

मुबहम से एक ख़्वाब की ताबीर का है शौक़

ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ

वो साअ'त सूरत-ए-चक़माक़ जिस से लौ निकलती है

वही दाग़-ए-लाला की बात है कि ब-नाम-ए-हुस्न उधर गई

ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई

सूरत-ए-ज़ंजीर मौज-ए-ख़ूँ में इक आहंग है

सँभल न पाए तो तक़्सीर-ए-वाक़ई भी नहीं

सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए

नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है

नक़्शे उसी के दिल में हैं अब तक खिंचे हुए

मिरी आँखें गवाह-ए-तल'अत-ए-आतिश हुईं जल कर

लिखी हुई जो तबाही है उस से क्या जाता

क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग

ख़त्म हुई शब-ए-वफ़ा ख़्वाब के सिलसिले गए

जी-दारो! दोज़ख़ की हवा में किस की मोहब्बत जलती है

हिकायत-ए-हुस्न-ए-यार लिखना हदीस-ए-मीना-ओ-जाम कहना

हज़ार वक़्त के परतव-नज़र में होते हैं

फ़िराक़ से भी गए हम विसाल से भी गए

एक-आध हरीफ़-ए-ग़म-ए-दुनिया भी नहीं था

इक ख़्वाब-ए-आतिशीं का वो महरम सा रह गया

आतिश-ए-मीना नज़र आई हरीफ़ाना मुझे

आज मुक़ाबला है सख़्त मीर-ए-सिपाह के लिए

अज़ीज़ हामिद मदनी ख्वाब Poetry in Hindi - Read famous ख्वाब Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अज़ीज़ हामिद मदनी. Largest collection of ख्वाब Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अज़ीज़ हामिद मदनी. Share the अज़ीज़ हामिद मदनी ख्वाब Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.