न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी
उसी को भैंस मिलती है हो जिस के हाथ में लाठी
Wasi Shah
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1220) Peoples Rate This
कूदे हैं उस के सेहन में दो-चार शेर-दिल
इश्क़ में ये तफ़रक़ा-बाज़ी बहुत मायूब है
केबल पे एक शेल्फ़ से जल्दी में सीख कर
बेगम से कह रहा था ये कोई ख़ला-नवर्द
उमीद
मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली
ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
वो साड़ी ज्यूलरी के तहाइफ़ पे थी ब-ज़िद
मोअर्रिख़ लिख न दें सुक़रात मुझ को