ऐसे बंदों को जानता हूँ मैं
जिन का वाहिद इलाज मालिश है
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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कुछ इस लिए भी उसे टूट कर नहीं चाहा
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फली
मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी
मोअर्रिख़ लिख न दें सुक़रात मुझ को
दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
बेगम से कह रहा था ये कोई ख़ला-नवर्द
दस बारा ग़ज़लियात जो रखता है जेब में
केबल पे एक शेल्फ़ से जल्दी में सीख कर
कूदे हैं उस के सेहन में दो-चार शेर-दिल
थका हारा निकल कर घर से अपने
ये दिया मैसेज ट्वीटर पर फ़सादी शख़्स ने