अज़ीज़ फ़ैसल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ फ़ैसल
नाम | अज़ीज़ फ़ैसल |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Faisal |
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली
मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
कुछ इस लिए भी उसे टूट कर नहीं चाहा
ये दिया मैसेज ट्वीटर पर फ़सादी शख़्स ने
वो तीस साल से है फ़क़त बीस साल की
वो साड़ी ज्यूलरी के तहाइफ़ पे थी ब-ज़िद
वो अफ़तारी से पहले चखते चखते
वे बालों में कलर लगवा चुका है
थका हारा निकल कर घर से अपने
न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी
मोअर्रिख़ लिख न दें सुक़रात मुझ को
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फली
कूदे हैं उस के सेहन में दो-चार शेर-दिल
कितनी मज़ाहिया है ये बोतल के जिन की बात
इश्क़ में ये तफ़रक़ा-बाज़ी बहुत मायूब है
है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत का
दो ख़त ब-नाम-ए-ज़ौजा-ओ-जानाँ लिखे मगर
दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
दस बारा ग़ज़लियात जो रखता है जेब में
केबल पे एक शेल्फ़ से जल्दी में सीख कर
बेगम से कह रहा था ये कोई ख़ला-नवर्द
ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
ऐसे बंदों को जानता हूँ मैं
उमीद