हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को
हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को
हम ने ख़्वाबों की मिट्टी से पाटा है इस खाई को
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हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को
हम ने ख़्वाबों की मिट्टी से पाटा है इस खाई को
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