गए मौसम में मैं ने क्यूँ न काटी फ़स्ल ख़्वाबों की
गए मौसम में मैं ने क्यूँ न काटी फ़स्ल ख़्वाबों की
मैं अब जागी हूँ जब फल खो चुके हैं ज़ाइक़ा अपना
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गए मौसम में मैं ने क्यूँ न काटी फ़स्ल ख़्वाबों की
मैं अब जागी हूँ जब फल खो चुके हैं ज़ाइक़ा अपना
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