रूठ जाएगा तो मुझ से और क्या ले जाएगा
रूठ जाएगा तो मुझ से और क्या ले जाएगा
बस यही होगा कि जीने का मज़ा ले जाएगा
सर्दियों की दोपहर से धूप ले जाएगा वो
गर्मियों की शाम से ठंडी हवा ले जाएगा
सब्ज़ मौसम की तनाबें खींच लेगा जिस्म से
और बालों से मिरे काली घटा ले जाएगा
अपने अंदर ज़र्द पत्तों की तरह बिखरूँ गी में
मेरे अंदर से मुझे पतझड़ उड़ा ले जाएगा
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