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अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा - अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा कविता - Darsaal

अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा

अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा

मुझ को तस्वीर भी देगा तो पुरानी देगा

छोड़ जाएगा मिरे जिस्म में बिखरा के मुझे

वक़्त-ए-रुख़्सत भी वो इक शाम सुहानी देगा

उम्र भर मैं कोई जादू की छड़ी ढूँडूँगी

मेरी हर रात को परियों की कहानी देगा

हम-सफ़र मील का पत्थर नज़र आएगा कोई

फ़ासला फिर मुझे उस शख़्स का सानी देगा

मेरे माथे की लकीरों में इज़ाफ़ा कर के

वो भी माज़ी की तरह अपनी निशानी देगा

मैं ने ये सोच के बोए नहीं ख़्वाबों के दरख़्त

कौन जंगल में लगे पेड़ को पानी देगा

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