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दुनिया के जंजाल न पूछ - अज़ीज़ अन्सारी कविता - Darsaal

दुनिया के जंजाल न पूछ

दुनिया के जंजाल न पूछ

तुझ बिन मेरा हाल न पूछ

किस ने लिया सर आँखों पर

किस ने किया पामाल न पूछ

उस की आँखों को तू पढ़

क्यूँ है चेहरा लाल न पूछ

बिखर गया रेज़ा रेज़ा

जीवन का भौंचाल न पूछ

मुस्तक़बिल के सपने देख

बीते माह-ओ-साल न पूछ

तू जो चाहे हुक्म सुना

मुझ से मिरे आ'माल न पूछ

'मीर' के घर की हालत देख

मेरे घर का हाल न पूछ

जिस ने बचाया ख़ंजर से

किस की थी वो ढाल न पूछ

कैसे दें बच्चों को 'अज़ीज़'

सब्ज़ी रोटी दाल न पूछ

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