Love Poetry of Azhar Naqvi
नाम | अज़हर नक़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Naqvi |
उतर कर पानियों में चाँद महव-ए-रक़्स रहता है
रह गया दीदा-ए-पुर-आब का सामाँ हो कर
किनारों से जुदा होता नहीं तुग़्यानियों का दुख
गिर्दाब-ए-रेग-ए-जान से मौज-ए-सराब तक
एक इक साँस में सदियों का सफ़र काटते हैं
दिल कुछ देर मचलता है फिर यादों में यूँ खो जाता है
दर-पेश नहीं नक़्ल-ए-मकानी कई दिन से
चाक-ए-दामान-ए-क़बा दाग़-ए-जुनूँ-साज़ बहुत
अफ़्सुर्दगी-ए-दर्द-ए-फ़राक़त है सहर तक