इस को कोई ग़म नहीं है जिस का घर पत्थर का है

इस को कोई ग़म नहीं है जिस का घर पत्थर का है

क्या करेगा तेज़ तूफ़ाँ बाम-ओ-दर पत्थर का है

ऐसे इंसाँ से कभी उम्मीद क्या रखे कोई

देखने में आदमी है दिल मगर पत्थर का है

कौन सा है शहर जिस में मैं भटक कर आ गया

रास्ते पत्थर के हैं और बाम-ओ-दर पत्थर का है

आ गए हैं आग की ज़द में हज़ारों झोंपड़े

मुझ को लेकिन है तसल्ली अपना घर पत्थर का है

अपने दामन में छुपाएँ क्यूँ नहीं बच्चे इन्हें

हैं सभी टूटे खिलौने फिर भी डर पत्थर का है

उन से उम्मीद-ए-वफ़ा रखना भी 'नय्यर' है फ़ुज़ूल

बे-मुरव्वत सब के सब हैं और नगर पत्थर का है

(787) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai In Hindi By Famous Poet Azhar Naiyyar. Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai is written by Azhar Naiyyar. Complete Poem Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai in Hindi by Azhar Naiyyar. Download free Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai Poem for Youth in PDF. Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Isko Koi Gham Nahin Hai Jis Ka Ghar Patthar Ka Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.