अज़हर नैयर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर नैयर
नाम | अज़हर नैयर |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Naiyyar |
जन्म की तारीख | 1945 |
जन्म स्थान | Barhulia,Darbhanga |
तुम बहर-ए-मोहब्बत के किनारे पे खड़े थे
थी उस की बंद मुट्ठी में चिट्ठी दबी हुई
दिल ख़ाक हुआ प्यार की इस आग में जल कर
चाहा है जिस का साया शजर वो बबूल है
ब-वक़्त-ए-शाम समुंदर में गिर गया सूरज
सच बोलना चाहें भी तो बोला नहीं जाता
मिरी दुनिया अकेली हो रही है
मैं महल रेत के सहरा में बनाने बैठा
मैं अपने शहर में अपना ही चेहरा खो बैठा
जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ
इस को कोई ग़म नहीं है जिस का घर पत्थर का है
हुरूफ़ ख़ाली सदफ़ और निसाब ज़ख़्मों के
हरे दरख़्त का शाख़ों से रिश्ता टूट गया
हर एक राह में इम्कान-ए-हादिसा है अभी
हमारे चेहरे पे रंज-ओ-मलाल ऐसा था
हैरान हूँ कि आज ये क्या हादिसा हुआ
दरीचे सो गए शब जागती है