कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग
चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का
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कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग
चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का
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