अज़हर इनायती कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर इनायती
नाम | अज़हर इनायती |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Inayati |
जन्म की तारीख | 1946 |
ये मस्ख़रों को वज़ीफ़े यूँही नहीं मिलते
ये भी रहा है कूचा-ए-जानाँ में अपना रंग
ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं
ये अलग बात कि मैं नूह नहीं था लेकिन
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुए
वो तड़प जाए इशारा कोई ऐसा देना
वो जिस के सेहन में कोई गुलाब खिल न सका
उन के भी अपने ख़्वाब थे अपनी ज़रूरतें
तारीख़ भी हूँ उतने बरस की मोअर्रिख़ो
शिकस्तगी में भी क्या शान है इमारत की
सँभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया
सब देख कर गुज़र गए इक पल में और हम
पुराने अहद में भी दुश्मनी थी
पलट चलें कि ग़लत आ गए हमीं शायद
नक़्श मिटते हैं तो आता है ख़याल
मुझ को भी जागने की अज़िय्यत से दे नजात
मेरी ख़ामोशी पे थे जो तअना-ज़न
मैं जिसे ढूँडने निकला था उसे पा न सका
लोग यूँ कहते हैं अपने क़िस्से
क्या रह गया है शहर में खंडरात के सिवा
किसी के ऐब छुपाना सवाब है लेकिन
ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर
करने को रौशनी के तआक़ुब का तजरबा
कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं
जवानों में तसादुम कैसे रुकता
जवान हो गई इक नस्ल सुनते सुनते ग़ज़ल
जहाँ ज़िदें किया करता था बचपना मेरा
इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
इस कार-ए-आगही को जुनूँ कह रहे हैं लोग
हुआ उजाला तो हम उन के नाम भूल गए