Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9337b0af9970d7e5d28cd77d95081e10, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं - अज़हर फ़राग़ कविता - Darsaal

उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं

उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं

दस्त-ए-दुआ' में रक्खा हुआ आइना हूँ मैं

अब जा के हो सकेगी मोहब्बत वसूक़ से

ख़ुद से बिछड़ते वक़्त किसी से मिला हूँ मैं

आबाद है ख़ज़ाने की अफ़्वाह से वजूद

मतरूक जंगलों का कोई रास्ता हूँ मैं

दस्तार काग़ज़ी है फ़ज़ीलत है नाम की

छोटों की मेहरबानी से घर में बड़ा हूँ मैं

रो कर न सोया जाए तो क्या नींद का जवाज़

बिस्तर की हर शिकन में पड़ा जागता हूँ मैं

हूँ अपनी रौशनी की अज़िय्यत में मुब्तला

जलता हुआ चराग़ हूँ उल्टा पड़ा हूँ मैं

(1282) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main In Hindi By Famous Poet Azhar Faragh. Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main is written by Azhar Faragh. Complete Poem Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main in Hindi by Azhar Faragh. Download free Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main Poem for Youth in PDF. Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Us Lab Ki KHamushi Ke Sabab TuTta Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.