अज़हर फ़राग़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर फ़राग़ (page 2)
नाम | अज़हर फ़राग़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Faragh |
जन्म की तारीख | 1980 |
जन्म स्थान | Bhawalpur, Pakistan |
एक ही वक़्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं
दलील उस के दरीचे की पेश की मैं ने
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
बता रहा है झटकना तिरी कलाई का
बहुत से साँप थे इस ग़ार के दहाने पर
बहुत ग़नीमत हैं हम से मिलने कभी कभी के ये आने वाले
बदल के देख चुकी है रेआया साहिब-ए-तख़्त
ऐसी ग़ुर्बत को ख़ुदा ग़ारत करे
अच्छे-ख़ासे लोगों पर भी वक़्त इक ऐसा आ जाता है
आँख खुलते ही जबीं चूमने आ जाते हैं
उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं
तिरे ब'अद कोई भी ग़म असर नहीं कर सका
रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए
कोशिशें कर के दिल बुरा किया था
कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी
कोई भी शक्ल मिरे दिल में उतर सकती है
कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं
कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
हँसने-हँसाने पढ़ने-पढ़ाने की उम्र है
दोश देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
धूप में साया बने तन्हा खड़े होते हैं
डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
बाग़ से झूले उतर गए