पत्ता हूँ आँधियों के मुक़ाबिल खड़ा हूँ मैं

पत्ता हूँ आँधियों के मुक़ाबिल खड़ा हूँ मैं

गिरते हुए दरख़्त से कितना बड़ा हूँ मैं

परचम हूँ रौशनी का मिरा एहतिराम कर

तारीकियों का रास्ता रोके खड़ा हूँ मैं

मेरे हरे वजूद से पहचान उस की थी

बे-चेहरा हो गया है वो जब से झड़ा हूँ मैं

मत सोच ये कि मेरी किसी ने नहीं सुनी

ये देख अपनी बात पे कितना अड़ा हूँ मैं

अब उस के राब्ते भी मिरे दुश्मनों से हैं

जिस के वक़ार के लिए 'अज़हर' लड़ा हूँ मैं

(778) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main In Hindi By Famous Poet Azhar Adeeb. Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main is written by Azhar Adeeb. Complete Poem Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main in Hindi by Azhar Adeeb. Download free Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main Poem for Youth in PDF. Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Patta Hun Aandhiyon Ke Muqabil KhaDa Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.