घनेरी छाँव के सपने बहुत दिखाए गए

घनेरी छाँव के सपने बहुत दिखाए गए

सवाल ये है कि कितने शजर उगाए गए

मिली है और ही ताबीर आ के मंज़िल पर

वो और ख़्वाब थे रस्ते में जो दिखाए गए

मिरे लहू से मुझे मुंहदिम कराया गया

दयार-ए-ग़ैर से लश्कर कहाँ बुलाए गए

दिए बना के जलाई थीं उँगलियाँ हम ने

अँधेरी शब की अदालत में हम भी लाए गए

फ़लक पे उड़ते हुओं को क़फ़स में डाला गया

ज़मीं पे रेंगने वालों को पर लगाए गए

हमारे नाम की तख़्ती भी उन पे लग न सकी

लहू में गूँध के मिट्टी जो घर बनाए गए

मिले थे पहले से लिक्खे हुए अदालत को

वो फ़ैसले जो हमें ब'अद में सुनाए गए

तमाम साद सितारे बिगड़ गए 'अज़हर'

सुलगती रेत पे जब ज़ाइचे बनाए गए

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