अज़हर अदीब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर अदीब
नाम | अज़हर अदीब |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Adeeb |
जन्म की तारीख | 1949 |
जन्म स्थान | Ghotki |
ज़रा सी देर तुझे आइना दिखाया है
ये शख़्स जो तुझे आधा दिखाई देता है
उसी ने सब से पहले हार मानी
उसे बाम-ए-पज़ीराई पे कैसे छोड़ दूँ अब
तुम उस की बातों में न आना
सुब्ह कैसी है वहाँ शाम की रंगत क्या है
शब भर आँख में भीगा था
सारे मंज़र में समाया हुआ लगता है मुझे
समझ में आ तो सकती है सबा की गुफ़्तुगू भी
निकल आया हूँ आगे उस जगह से
मेरे हरे वजूद से पहचान उस की थी
मैं उस का नाम ले बैठा था इक दिन
मैं जिस लम्हे को ज़िंदा कर रहा हूँ मुद्दतों से
लोगो हम तो एक ही सूरत में हथियार उठाते हैं
लहजे और आवाज़ में रक्खा जाता है
कभी उस से दुआ की खेतियाँ सैराब करना
जो ज़िंदगी की माँग सजाते रहे सदा
जब भी चाहूँ तेरा चेहरा सोच सकूँ
इतना भी इंहिसार मिरे साए पर न कर
इस लिए मैं ने मुहाफ़िज़ नहीं रक्खे अपने
हम ने घर की सलामती के लिए
हम उन की आस पे उम्रें गुज़ार देते हैं
हवा को ज़िद कि उड़ाएगी धूल हर सूरत
हमें रोको नहीं हम ने बहुत से काम करने हैं
हमारे नाम की तख़्ती भी उन पे लग न सकी
ग़ज़ल उस के लिए कहते हैं लेकिन दर-हक़ीक़त हम
एक लम्हे को सही उस ने मुझे देखा तो है
दोनों हाथों से छुपा रक्खा है मुँह
देर लगती है बहुत लौट के आते आते
दश्त-ए-शब में पता ही नहीं चल सका