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किस ने कहा कि चुप हूँ मियाँ बोलता नहीं - अज़हर अब्बास कविता - Darsaal

किस ने कहा कि चुप हूँ मियाँ बोलता नहीं

किस ने कहा कि चुप हूँ मियाँ बोलता नहीं

जब आग बोलती हो धुआँ बोलता नहीं

रस्ते की बात ग़ौर से सुनता हूँ इस लिए

रह में किसी से हम-सफ़राँ बोलता नहीं

यूँ तो हर एक शख़्स का अपना ही शोर है

लेकिन किसी से कोई यहाँ बोलता नहीं

बस यूँही पूछता हूँ मकीनों का हाल-चाल

बरसों से बंद है ये मकाँ बोलता नहीं

सर खा लिया है दिल ने मिरा बोल बोल कर

कहता हूँ मैं जहाँ पे वहाँ बोलता नहीं

कितनी ही दास्तानें सुनाता है लहर लहर

कहने को यूँ तो आब-ए-रवाँ बोलता नहीं

दिल में उतरता जाता है उस का कहा हुआ

चाहे वो शख़्स मेरी ज़बाँ बोलता नहीं

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