Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1bb927ce2ef5aba9dbdda9aa1ba8cf0e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपने वीराने का नुक़सान नहीं चाहता मैं - अज़हर अब्बास कविता - Darsaal

अपने वीराने का नुक़सान नहीं चाहता मैं

अपने वीराने का नुक़सान नहीं चाहता मैं

या'नी अब दूसरा इंसान नहीं चाहता मैं

कट गई जैसी भी कटनी थी यहाँ धूप के साथ

अब किसी साए का एहसान नहीं चाहता मैं

मर रहा हूँ मैं यहाँ और वो कहता है मुझे

ना-मुकम्मल तिरा ईमान नहीं चाहता मैं

पास आ कर न बढ़ा और परेशानी-ए-दिल

फिर किसी इश्क़ का सामान नहीं चाहता मैं

तू मोहब्बत में यूँही जान गँवा बैठेगा

जा चला जा कि तिरी जान नहीं चाहता मैं

चाहता हूँ कि यहाँ फूल खिले हों हर-सू

या'नी ये जंग का मैदान नहीं चाहता मैं

मैं जो चुप हूँ तो उसे आप ग़नीमत जानें

देखिए शहर में तूफ़ान नहीं चाहता मैं

(1122) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main In Hindi By Famous Poet Azhar Abbas. Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main is written by Azhar Abbas. Complete Poem Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main in Hindi by Azhar Abbas. Download free Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main Poem for Youth in PDF. Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Apne Virane Ka Nuqsan Nahin Chahta Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.