Ghazals of Azhar Abbas
नाम | अज़हर अब्बास |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Abbas |
ज़िंदगी कैसे लगी दीवार से
ये रात आख़िरी लोरी सुनाने वाली है
क़दम क़दम निशान ढूँढता रहा
पंछियों की किसी क़तार के साथ
मुझ को इतना तो यक़ीं है मैं हूँ
मिरी कहानी तिरी कहानी से मुख़्तलिफ़ है
किस ने कहा कि चुप हूँ मियाँ बोलता नहीं
जब तिरे ख़्वाब से बेदार हुआ करते थे
इधर महसूस होती है कमी उस की
हवा-ए-तेज़ के आगे कहाँ रहेगा कोई
फ़ज़ा-ए-नीलगूँ का ध्यान छोड़ दे
देख क़िंदील रुख़-ए-यार की जानिब मत देख
अपने वीराने का नुक़सान नहीं चाहता मैं
अजीब लगता है यूँही बिछा हुआ बिस्तर
ऐसे पामाल कि पहचान में आते ही नहीं