Love Poetry of Azad Gulati
नाम | आज़ाद गुलाटी |
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अंग्रेज़ी नाम | Azad Gulati |
जन्म की तारीख | 1935 |
ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!! आ दो घड़ी मिल कर रहें
कुछ ऐसे फूल भी गुज़रे हैं मेरी नज़रों से
हर इक ने देखा मुझे अपनी अपनी नज़रों से
एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी
देखने वाले मुझे मेरी नज़र से देख ले
उम्र भर चलते रहे हम वक़्त की तलवार पर
तुम्हारे पास रहें हम तो मौत भी क्या है
तेरे क़दमों की आहट को तरसा हूँ
सरहद-ए-जिस्म से बाहर कहीं घर लिक्खा था
सरहद-ए-जिस्म से बाहर कहीं घर लिक्खा था
साहिल पे रुक के सू-ए-समुंदर न देखिए
मेरा तो नाम रेत के सागर पे नक़्श है
मैं बिछड़ कर तुझ से तेरी रूह के पैकर में हूँ
मैं अपने आप से इक खेल करने वाला हूँ
लम्हा लम्हा इक नई सई-ए-बक़ा करती हुई
ख़ुद हमीं को राहतों के कैफ़ का चसका न था
ख़ला-ए-ज़ेहन के गुम्बद में गूँजता हूँ मैं
कर्ब हरे मौसम का तब तक सहना पड़ता है
कभी मिली जो तिरे दर्द की नवा मुझ को
जो ग़म में जलते रहे उम्र-भर दिया बन कर
हमारी आँख में ठहरा हुआ समुंदर था
गो मिरा साथ मिरी अपनी नज़र ने न दिया
दिन में इस तरह मिरे दिल में समाया सूरज