साहिल पे रुक के सू-ए-समुंदर न देखिए
साहिल पे रुक के सू-ए-समुंदर न देखिए
बाहर से अपने आप का मंज़र न देखिए
अपने वजूद ही पे न गुज़रीं कई शोकूक
साए को अपने क़द के बराबर न देखिए
जागे तो महज़ रेत ही पाएँगे हर तरफ़
गर हो सके तो ख़्वाब में सागर न देखिए
अपने ही सर के ज़ख़्म का कुछ कीजिए इलाज
आया है किस तरफ़ से ये पत्थर न देखिए
यकजा न करने आएगा कोई तमाम उम्र
ख़ुश-फ़हमियों से ख़ुद में बिखर कर न देखिए
फिर यूँ न हो कि अपना बदन अजनबी लगे
बेहतर है इस के ख़ोल से बाहर न देखिए
'आज़ाद' जी डराएगा परछाइयों का ख़ौफ़
वीराँ नज़र से कोई भी मंज़र न देखिए
(979) Peoples Rate This