Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2dc21f417011c5b449f2dcb3e7d7c2a2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मेरा तो नाम रेत के सागर पे नक़्श है - आज़ाद गुलाटी कविता - Darsaal

मेरा तो नाम रेत के सागर पे नक़्श है

मेरा तो नाम रेत के सागर पे नक़्श है

फिर किस का नाम है जो तिरे दर पे नक़्श है

फेंका था हम पे जो कभी उस को उठा के देख

जो कुछ लहू में था उसी पत्थर पे नक़्श है

शायद इधर से गुज़रा है इक बार तू कभी

तेरी नज़र का लम्स जो मंज़र पे नक़्श है

तेरा ख़याल मुझ से गो मिल कर बिछड़ गया

उस की महक का अक्स मिरे घर पे नक़्श है

मेरे ख़तों को रख के सिरहाने वो सो गया

जागा तो मेरे जिस्म का बिस्तर पे नक़्श है

अब इस में जो भी डालिए अमृत से कम नहीं

जो इन लबों पे था वही साग़र पे नक़्श है

जो ज़ख़्म इक नज़र से मिला था वो भर गया

धुँदला सा दाग़ रूह के पैकर पे नक़्श है

ख़ंजर चला था मुझ पे मगर मोजज़ा है ये

क़ातिल का अपना ख़ून ही ख़ंजर पे नक़्श है

'आज़ाद' कौन था जो तहों में उतर गया

किस की हयात है जो समुंदर पे नक़्श है

(812) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai In Hindi By Famous Poet Azad Gulati. Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai is written by Azad Gulati. Complete Poem Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai in Hindi by Azad Gulati. Download free Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai Poem for Youth in PDF. Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Mera To Nam Ret Ke Sagar Pe Naqsh Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.