Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d27635651fa4896c2011fcc2246bc033, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं बिछड़ कर तुझ से तेरी रूह के पैकर में हूँ - आज़ाद गुलाटी कविता - Darsaal

मैं बिछड़ कर तुझ से तेरी रूह के पैकर में हूँ

मैं बिछड़ कर तुझ से तेरी रूह के पैकर में हूँ

तू मिरी तस्वीर है मैं तेरे पस-मंज़र में हूँ

अपना मरकज़ ढूँडता हूँ दाएरों में खो के मैं

कितने जन्मों से मैं इक महदूद से चक्कर में हूँ

ख़ुद ही दस्तक दे रहा हूँ अपने दर पर देर से

घर से बाहर रह के भी जैसे मैं अपने घर में हूँ

मैं वो आज़र हूँ जिसे बरसों रही अपनी तलाश

ख़ुद ही मूरत बन के पोशीदा हर इक पत्थर में हूँ

देखने वाले मुझे मेरी नज़र से देख ले

मैं तिरी नज़रों में हूँ और मैं ही हर मंज़र में हूँ

गूँजता हूँ अपने अंदर और खो जाता हूँ मैं

इक सदा बन कर अना के गुम्बद-ए-बे-दर में हूँ

मैं कभी इक झील था फैले हुए सहराओं में

आज मैं इक प्यास का सहरा हूँ और सागर में हूँ

मौत को 'आज़ाद' ये इरफ़ान देना है मुझे

काटती है मुझ को जिस से वो मैं उस ख़ंजर में हूँ

(811) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun In Hindi By Famous Poet Azad Gulati. Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun is written by Azad Gulati. Complete Poem Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun in Hindi by Azad Gulati. Download free Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun Poem for Youth in PDF. Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Main BichhaD Kar Tujhse Teri Ruh Ke Paikar Mein Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.