Hope Poetry of Ayub Khawar
नाम | अय्यूब ख़ावर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ayub Khawar |
कुछ और हो भी तो राएगाँ है
उश्शाक़ बहुत हैं तिरे बीमार बहुत हैं
सफ़र में फ़ासलों के साथ बादबान खो दिया
न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है
न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है
कोई न देखे गूँज हवा की
हवा के रुख़ पे रह-ए-ए'तिबार में रक्खा
इक तुम कि हो बे-ख़बर सदा के
चराग़-ए-क़ुर्ब की लौ से पिघल गया वो भी
बुझने लगे नज़र तो फिर उस पार देखना
बर्ग-ए-गुल शाख़-ए-हिज्र का कर दे
आ जाए न रात कश्तियों में