कोई न देखे गूँज हवा की
कोई न देखे गूँज हवा की
निगराँ है इक ज़ात ख़ुदा की
खो गईं छोटी छोटी उड़ानें
फैलते शहरों में चिड़िया की
जितने सहरा वो सब मेरे
सोना है मिट्टी दुनिया की
पहले अपनी तह को पा ले
देख रवानी फिर दरिया की
मैं ने उन आँखों की ख़ातिर
फूलों जैसी एक दुआ की
उन पथरीली आँखों में है
इक चुप चुप तस्वीर वफ़ा की
ज़ात-सफ़र के लाखों रस्ते
आबला-पाई मुझ तन्हा की
दरवाज़े की ओट से झाँके
याद तुम्हारी शक्ल सबा की
ग़म अंदर का नम है 'ख़ावर'
बाहर आँच है तेज़ हवा की
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